
भविष्य पुराण और कलियुग की कहानी – Part 1
परिचय
भारतीय धर्मग्रंथों में भविष्य पुराण एक ऐसा पुराण है जिसमें भविष्य से जुड़े कई रहस्यमयी घटनाओं का वर्णन मिलता है। इस पुराण में खासतौर पर कलियुग यानी वर्तमान युग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। कहा जाता है कि इसमें आने वाले समय के समाज, राजनीति, धर्म, संस्कृति और मानव जीवन की दशा का वर्णन विस्तार से किया गया है।
आज हम इस लेख में जानेंगे –
भविष्य पुराण क्या है?
कलियुग की शुरुआत कब हुई?
कलियुग के प्रमुख लक्षण क्या बताए गए हैं?
धर्म, समाज और मानव जीवन पर इसका असर।
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भविष्य पुराण का परिचय
पुराणों की परंपरा में 18 महापुराण माने जाते हैं और भविष्य पुराण उन्हीं में से एक है। इसका नाम “भविष्य” इसलिए रखा गया क्योंकि इसमें आने वाले समय यानी भविष्य की घटनाओं का वर्णन है।
यह पुराण व्यास जी द्वारा रचित माना जाता है।
इसमें लगभग 14,000 से अधिक श्लोक बताए जाते हैं।
इसमें धर्म, भक्ति, समाज व्यवस्था और भविष्य के युगों का विस्तृत वर्णन है।
भविष्य पुराण को कई भागों में बाँटा गया है –
1. प्रतिसर्ग पर्व – जिसमें सृष्टि और युगों की चर्चा है।
2. प्रतिसर्ग खंड – जिसमें अवतारों और भविष्य की कथाएँ हैं।
3. उत्पत्ति खंड – जिसमें ब्रह्मांड और धर्म का विस्तार है।
4. उत्कल्प खंड – जिसमें कलियुग और धर्म की स्थिति का विवरण मिलता है।
यही कारण है कि जब भी कलियुग की चर्चा होती है तो भविष्य पुराण का नाम सबसे पहले आता है।
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कलियुग की शुरुआत
हिंदू धर्म के अनुसार समय को चार युगों में बाँटा गया है –
1. सत्ययुग (सतयुग)
2. त्रेतायुग
3. द्वापरयुग
4. कलियुग
इन चारों को मिलाकर महायुग कहा जाता है।
कलियुग का आरंभ माना जाता है भगवान श्रीकृष्ण के पृथ्वी से प्रस्थान के तुरंत बाद।
इतिहासकारों और पौराणिक गणनाओं के अनुसार, कलियुग की शुरुआत लगभग 3102 ईसा पूर्व से हुई।
इसका कुल समय 4,32,000 वर्ष बताया गया है, जिसमें अब तक केवल लगभग 5,000 वर्ष ही बीते हैं।
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कलियुग के लक्षण (भविष्य पुराण के अनुसार)
भविष्य पुराण और अन्य ग्रंथों में कलियुग के कई लक्षण बताए गए हैं। इनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं –
1. धर्म की गिरावट –
लोग धर्म के आचरण से दूर हो जाएँगे, पूजा-पाठ केवल दिखावे के लिए होगा।
2. लोभ और लालच की वृद्धि –
धन और संपत्ति ही जीवन का मुख्य लक्ष्य बन जाएगा।
3. परिवार और रिश्तों में कमजोरी –
माता-पिता का सम्मान घटेगा, भाई-भाई में लड़ाई होगी, पति-पत्नी में प्रेम घटेगा।
4. सच्चाई की कमी –
झूठ बोलना, धोखा देना और कपट करना सामान्य माना जाएगा।
5. प्राकृतिक आपदाएँ –
बार-बार अकाल, बाढ़, महामारी और युद्ध होंगे।
6. भ्रष्टाचार और राजनीति –
राजा (शासन) प्रजा की रक्षा नहीं करेगा बल्कि अपने लाभ के लिए कार्य करेगा।
7. भक्ति का सरल मार्ग –
हालांकि, एक सकारात्मक बात यह है कि कलियुग में केवल भगवान का नाम स्मरण करने से ही मोक्ष मिल सकता है।
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👉 यही से Part 1 समाप्त होता है।
इसमें हमने जाना – भविष्य पुराण का परिचय, कलियुग की शुरुआत और इसके लक्षण।
कलियुग में मानव जीवन पर प्रभाव
धर्म, समाज और राजनीति की स्थिति
भविष्य पुराण की विस्तृत भविष्यवाणियाँ
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भविष्य पुराण और कलियुग की कहानी – Part 2
कलियुग में मानव जीवन पर प्रभाव
भविष्य पुराण और अन्य ग्रंथों में बताया गया है कि कलियुग में इंसान का जीवन कई तरीकों से प्रभावित होगा। यह प्रभाव केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं बल्कि समाज, संस्कृति और राजनीति तक फैलेगा।
1. जीवन शैली में बदलाव
कलियुग में लोग अपने जीवन का अधिकांश समय धन, पद और वैभव प्राप्त करने में खर्च करेंगे। साधारण जीवन और संतोष धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगा।
लोग बाहरी दिखावे और भौतिक सुखों में अधिक रुचि लेंगे।
खान-पान अस्वस्थ होगा, शुद्ध आहार की जगह तामसिक और झूठे पदार्थों का सेवन बढ़ेगा।
2. रिश्तों में गिरावट
भाई-भाई में प्रेम घटेगा और संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ेंगे।
पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और विश्वास कम हो जाएगा।
बच्चों का सम्मान अपने माता-पिता के लिए घटेगा।
3. नैतिकता की कमी
झूठ, छल, कपट और स्वार्थ समाज में आम हो जाएगा।
लोग केवल अपने लाभ को ही प्राथमिकता देंगे।
गुरु-शिष्य का संबंध भी केवल पैसों तक सीमित रह जाएगा।
धर्म और समाज पर प्रभाव
भविष्य पुराण में साफ उल्लेख है कि कलियुग में धर्म का पतन होना तय है।
1. पूजा-पाठ और भक्ति का स्वरूप
पूजा-पाठ केवल दिखावे के लिए किया जाएगा।
साधु-संतों की संख्या घटेगी और नकली संत अधिक हो जाएँगे।
धार्मिक स्थलों का उपयोग भी स्वार्थ और राजनीति के लिए किया जाएगा।
2. समाज की संरचना
वर्ण व्यवस्था और संस्कारों की परंपरा कमजोर हो जाएगी।
गरीब और असहाय लोगों की मदद कम होगी।
सामाजिक एकता की जगह जातिवाद, क्षेत्रवाद और भेदभाव हावी होंगे।
3. राजनीति और सत्ता
भविष्य पुराण में वर्णन है कि कलियुग के शासक (राजा/राजनीतिज्ञ) केवल अपने स्वार्थ के लिए शासन करेंगे।
कर (टैक्स) अत्यधिक बढ़ेगा।
सत्ता में बैठे लोग प्रजा की सुरक्षा की जगह खुद की संपत्ति और शक्ति बढ़ाने पर ध्यान देंगे।
युद्ध, दंगे और संघर्ष बार-बार होंगे।
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भविष्य पुराण की विस्तृत भविष्यवाणियाँ (कलियुग के लिए)
भविष्य पुराण में कई भविष्यवाणियाँ हैं जो आज भी हमारे समाज में सच होती दिखाई देती हैं। कुछ प्रमुख भविष्यवाणियाँ इस प्रकार हैं –
1. धन ही सब कुछ बन जाएगा
व्यक्ति की पहचान उसके चरित्र या ज्ञान से नहीं बल्कि धन से होगी।
2. महिलाओं की स्थिति
महिलाएँ अपने सम्मान और संस्कारों से दूर होकर केवल फैशन और दिखावे में अधिक रुचि लेंगी।
3. शिक्षा का व्यवसायीकरण
शिक्षा ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं रहेगी बल्कि पैसा कमाने का ज़रिया बन जाएगी।
4. व्यापार और धोखाधड़ी
व्यापारी झूठ और मिलावट से पैसा कमाएँगे। शुद्ध वस्तुओं का मिलना कठिन होगा।
5. प्राकृतिक संकट
बार-बार अकाल, बाढ़ और महामारी लोगों को परेशान करेंगे।
6. धार्मिक स्थलों पर भी राजनीति
मंदिर, तीर्थ और आश्रम भी राजनीति और धन संग्रह का केंद्र बन जाएँगे।
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👉 यहाँ तक Part 2 समाप्त होता है।
इसमें हमने देखा –
कलियुग में मानव जीवन पर असर
धर्म, समाज और राजनीति की स्थिति
भविष्य पुराण की भविष्यवाणियाँ
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भविष्य पुराण और कलियुग की कहानी – Part 3
कलियुग में भक्ति और मुक्ति का मार्ग
भविष्य पुराण और भागवत पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि कलियुग में भक्ति का मार्ग सबसे सरल होगा।
1. नाम-स्मरण की शक्ति
कलियुग में केवल भगवान के नाम का स्मरण (जप) करने से भी मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
विशेषकर “हरे कृष्ण हरे राम” जैसे मंत्रों का जाप सबसे प्रभावी माना गया है।
2. साधारण भक्ति मार्ग
यज्ञ, तप और कठिन साधना कलियुग में कम हो जाएगी।
लेकिन सच्चे हृदय से की गई भक्ति सबसे श्रेष्ठ होगी।
गीता और रामायण जैसे ग्रंथों का पाठ मोक्ष की ओर ले जाएगा।
3. दान और सेवा
गरीबों, असहायों और भूखों को भोजन कराना कलियुग में सबसे बड़ा पुण्य है।
कहा गया है कि कलियुग में किया गया थोड़ा-सा दान भी हजार गुना फल देता है।
कलियुग का अंत (भविष्य पुराण के अनुसार)
भविष्य पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार कलियुग का अंत अत्यंत भीषण होगा।
1. कलियुग का समय
कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष मानी गई है।
अब तक केवल लगभग 5,000 वर्ष ही बीते हैं, यानी अभी इसका बड़ा हिस्सा शेष है।
2. कलियुग के अंतिम समय के लक्षण
पृथ्वी पर नैतिकता और धर्म लगभग समाप्त हो जाएगा।
लोग केवल धन, हिंसा और स्वार्थ में डूबे होंगे।
प्रकृति का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा, जिससे भयंकर अकाल और महामारी फैलेंगी।
नदियाँ सूख जाएँगी और भूमि बंजर हो जाएगी।
3. भगवान कल्कि का अवतार
भविष्य पुराण में कहा गया है कि कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे।
वे एक श्वेत घोड़े पर सवार होकर, हाथ में तलवार लिए अधर्मियों और दुष्टों का नाश करेंगे।
इसके बाद पुनः सत्ययुग की स्थापना होगी और धर्म फिर से जाग्रत होगा।
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निष्कर्ष
भविष्य पुराण और अन्य शास्त्रों के अनुसार कलियुग चुनौतियों से भरा हुआ युग है। इसमें धर्म का पतन, स्वार्थ की वृद्धि और प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप होता रहेगा। लेकिन इसका एक सकारात्मक पहलू भी है –
👉 इस युग में केवल भक्ति, नाम-स्मरण और सेवा से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने जीवन में सरलता, ईमानदारी, दया और भक्ति को स्थान दें। यही कलियुग में सबसे बड़ा धर्म है।
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FAQs
Q1. भविष्य पुराण क्या है?
भविष्य पुराण 18 महापुराणों में से एक है जिसमें भविष्य की घटनाओं, विशेषकर कलियुग के लक्षण और प्रभाव का विस्तृत वर्णन है।
Q2. कलियुग की शुरुआत कब हुई?
कलियुग की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के पृथ्वी से प्रस्थान के तुरंत बाद, लगभग 3102 ईसा पूर्व से हुई।
Q3. कलियुग की कुल अवधि कितनी है?
कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष बताई गई है। अभी तक केवल लगभग 5,000 वर्ष ही बीते हैं।
Q4. कलियुग में मोक्ष कैसे मिलेगा?
कलियुग में मोक्ष पाने का सबसे आसान मार्ग भगवान के नाम का स्मरण, दान, सेवा और सच्ची भक्ति है।
Q5. कलियुग का अंत कैसे होगा?
कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे और अधर्मियों का नाश करके सत्ययुग की स्थापना करेंगे।
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