
🌌 भगवान श्रीहरि का अनसुना चमत्कार: जब समय रुक गया
भगवान विष्णु ने समय को कैसे रोका
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क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु ने एक बार समय को रोक दिया था? पढ़िए एक अनसुनी चमत्कारिक कथा जो आज भी रहस्य बनी हुई है।
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🕉️ प्रस्तावना
भगवान विष्णु को न केवल सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है, बल्कि समय, दिशा और ब्रह्मांड के नियमों से भी परे माना जाता है। यह कथा एक ऐसे रहस्य से जुड़ी है जब भगवान विष्णु ने समय को ही रोक दिया — और यह कथा केवल कुछ ग्रंथों व साधु-संतों की परंपराओं में मौखिक रूप से सुनी गई है।
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⛰️ कथा का आरंभ
यह घटना सत्य युग की बताई जाती है। हिमालय के घने जंगलों में एक महान तपस्वी — ऋषि कालवर्ण्य — वर्षों से तपस्या कर रहे थे। उनका लक्ष्य था, साक्षात भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का दर्शन प्राप्त करना।
उन्होंने न तो अन्न खाया, न जल पिया — केवल श्वासों पर नियंत्रण कर के 12,000 वर्षों तक तप किया।
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🙏 तपस्या का प्रभाव
ऋषि की तपस्या से ब्रह्मांड कांपने लगा। देवताओं ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि कृपा करके उन्हें दर्शन दें। लेकिन भगवान बोले:
> “ऋषि का तप पूर्ण है, परंतु उनका एक ही लक्ष्य है — मेरे सुदर्शन चक्र को स्थिर अवस्था में देखना। और यह असंभव है, क्योंकि चक्र समय का प्रतीक है, जो कभी रुकता नहीं।”
देवताओं ने कहा, “तो क्या समय को रोका जा सकता है?”
भगवान मुस्कुराए — और तभी हुआ एक महाचमत्कार।
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🌠 जब समय थम गया
भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए। उन्होंने ऋषि के समक्ष खड़े होकर अपना सुदर्शन चक्र हवा में घुमाया — और फिर अपनी इच्छा से उसे रोक दिया।
सुदर्शन चक्र, जो कि ब्रह्मांड के गति का प्रतीक है, एक पल के लिए स्थिर हो गया।
और उसी पल, पूरा ब्रह्मांड रुक गया:
पत्ते हिलने बंद हो गए,
सूर्य स्थिर हो गया,
नदियाँ थम गईं,
जीव-जंतु बिना गति के स्थिर हो गए।
केवल एक ही आत्मा ने इसे होते हुए देखा — ऋषि कालवर्ण्य।
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👁️ ऋषि को साक्षात्कार
भगवान विष्णु बोले —
> “हे मुनि, तुमने वह देखा है जिसे देखना संभव नहीं। तुमने समय के प्रवाह को थमते हुए देखा है। यह मेरा सबसे दुर्लभ चमत्कार है, जो केवल सच्ची तपस्या से संभव हुआ है।”
ऋषि ने अपनी आंखों में आंसू लिए कहा —
> “अब मुझे कुछ और नहीं चाहिए प्रभु। अब मैं जान गया हूं कि आपकी माया कितनी अलौकिक है।”
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🔁 समय का फिर से आरंभ
जैसे ही भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र को दोबारा घुमाया — ब्रह्मांड फिर से गति में आ गया।
लेकिन उस एक पल की अनुभूति ऋषि के साथ सदा के लिए अमर हो गई।
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✨ यह चमत्कार क्यों अनसुना है?
यह कथा ना तो भागवत में है, ना ही रामायण में। यह केवल पुरानी वैष्णव परंपराओं, कुछ तांत्रिक ग्रंथों और ओरियंटल विद्वानों की व्यक्तिगत डायरीज़ में संकलित हुई है। इसलिए यह कथा बहुत कम लोगों को ज्ञात है — परंतु अपने आप में एक अविश्वसनीय चमत्कार है।
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🪔 निष्कर्ष
“भगवान विष्णु ने समय को कैसे रोका” — यह एक ऐसी कथा है जो यह सिद्ध करती है कि जब भक्ति सच्ची होती है, तब भगवान सिर्फ दर्शन ही नहीं, ब्रह्मांड के नियमों को भी बदल सकते हैं।
यह कहानी इस बात की गवाही है कि ईश्वर समय से परे हैं, और भक्त के प्रेम में वह असंभव को भी संभव बना देते हैं।
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youtube पर देखे कैसे रोका गया काल चक्र को
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