
भगवान गणेश कौन हैं?
भगवान गणेश हिंदू धर्म में बुद्धि, विवेक और शुभ आरंभ के देवता माने जाते हैं। उन्हें विघ्नहर्ता (विघ्नों को हरने वाले) और प्रथमपूज्य (सबसे पहले पूजे जाने वाले) के रूप में पूजा जाता है। उनका वाहन मूषक (चूहा) है, और उनका रूप अनोखा है — हाथी का सिर, गोल पेट और चार भुजाएं।
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माता पार्वती से जन्म
शिव-पार्वती का निवास
एक बार की बात है, कैलाश पर्वत पर माता पार्वती स्नान करना चाहती थीं। भगवान शिव कहीं बाहर गए हुए थे। पार्वती जी को लगा कि कोई अंदर आ सकता है, इसलिए उन्होंने अपने शरीर के उबटन (संदल पेस्ट) से एक सुंदर बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए।
इस प्रकार भगवान गणेश जी का जन्म हुआ। माता पार्वती ने आदेश दिया – “जब तक मैं स्नान करूं, कोई भी अंदर न आए।”
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भगवान शिव और गणेश का संघर्ष
पिता-पुत्र का परिचय नहीं
इसी दौरान भगवान शिव वापस आए। उन्होंने देखा कि एक बालक दरवाज़े पर पहरा दे रहा है और अंदर जाने नहीं दे रहा। शिवजी को गुस्सा आया, पर गणेशजी ने कहा, “मेरी माता ने कहा है कि किसी को अंदर नहीं जाने देना है।”
यह सुनकर शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेशजी का सिर काट दिया।
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पार्वती का दुःख और क्रोध
जब माता पार्वती बाहर आईं और यह दृश्य देखा, तो वे शोक में डूब गईं। उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को संकट में डालने की धमकी दी। देवताओं ने हस्तक्षेप किया और शिवजी को अपनी गलती का एहसास हुआ।
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हाथी का सिर कैसे लगा?
भगवान शिव ने तुरंत अपने गणों से कहा – “जो भी पहला जीव दिखे, उसका सिर ले आओ।” उन्हें एक हाथी का बच्चा मिला और उसका सिर लाकर गणेशजी के शरीर से जोड़ दिया गया।
भगवान ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं ने मिलकर गणेश जी को जीवनदान दिया।
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भगवान गणेश बने प्रथम पूज्य
इस घटना के बाद, भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि –
> “गणेश अब से हर पूजा, यज्ञ और शुभ कार्य से पहले पूजे जाएंगे। जो तुम्हारी आराधना करेगा, उसके सारे विघ्न दूर हो जाएंगे।”
इसलिए आज भी हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी का आवाहन किया जाता है।
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गणेश जी के अन्य नाम
गणेश जी को कई नामों से जाना जाता है:
विनायक – नेतृत्व करने वाले
गजानन – हाथी के मुख वाले
लम्बोदर – गोल पेट वाले
विघ्नहर्ता – विघ्नों को हरने वाले
सिद्धिविनायक – सिद्धियों के दाता
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मूषक क्यों बना उनका वाहन?
कहते हैं एक बार एक असुर ‘क्रीड़ाचल’ ने पृथ्वी पर आतंक मचा दिया। गणेश जी ने उसे पराजित किया। उस असुर ने क्षमा मांगी और वाहन बनने का प्रस्ताव दिया। तब से मूषक (चूहा) उनका वाहन बन गया।
यह प्रतीक है कि – “गणेश जी अहंकार को भी अपने वश में कर सकते हैं।”
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भगवान गणेश और तुलसी कथा
एक बार तुलसी ने गणेश जी को विवाह के लिए प्रस्ताव दिया, जिसे गणेश जी ने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाहों का श्राप दे दिया। इसी कारण गणेश जी का विवाह सिद्धि और बुद्धि से हुआ, और उनके दो पुत्र हुए – शुभ और लाभ।
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क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार भक्तों के लिए नई शुरुआत और सफलता का प्रतीक है।
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गणेश जी से जीवन शिक्षा
आज्ञाकारी बनो, जैसे गणेश माता-पिता की बात मानते हैं।
धैर्य रखो, जैसे उन्होंने मूषक को भी अपना साधन बनाया।
ज्ञान प्राप्त करो, उनका बड़ा सिर बुद्धि का प्रतीक है।
कम बोलो, उनका छोटा मुंह बताता है कि अधिक सुनो, कम बोलो।
सभी को साथ लेकर चलो, जैसे वे हर देवता और असुर दोनों को साथ लेते हैं।
यह भी पढ़े (भीष्म पितामह की कहानी ) https://divyakatha.com/भीष्म-पितामह-की-कहानी-त्य/
निष्कर्ष (Conclusion)
भगवान गणेश केवल पूज्य देवता नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा हैं। उनकी जन्म कथा से हमें आज्ञा पालन, ज्ञान, संयम और संकटों से निपटने की सीख मिलती है।
हर शुभ कार्य में उनका नाम लेना हमें आशीर्वाद, सफलता और मानसिक शांति देता है।
जन्म कथा देखने के लिए ये विडियो देखे https://www.youtube.com/watch?v=QiWkw-7QdfA