
🕉️ ✨ परिचय
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन अनगिनत चमत्कारों, लीलाओं और गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ है। गीता के उपदेशों से लेकर रासलीला तक, उनके जीवन के अनेक पहलुओं को हम सभी जानते हैं। लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी भी हैं जो आम लोगों को कम ही पता हैं — उन्हीं में से एक है कालिया नाग की दूसरी भेंट।
यह कथा न केवल भगवान कृष्ण की करुणा को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वे केवल दंड देने वाले नहीं, बल्कि आत्मा का उद्धार करने वाले भी हैं।
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🐍 भाग 1: कालिया नाग की पहली पराजय
हम सब जानते हैं कि यमुना नदी में विष फैला रहा कालिया नाग भगवान कृष्ण के हाथों पराजित हुआ था। उन्होंने कालिया को नृत्य करते हुए चेतावनी दी थी कि वह यमुना छोड़ दे। कालिया ने हार मानकर परिवार समेत रामणक द्वीप (Fiji के आस-पास का क्षेत्र) में शरण ली।
परंतु… क्या आप जानते हैं कि कालिया नाग दोबारा श्रीकृष्ण से मिला?
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🌊 भाग 2: रामणक द्वीप पर भक्ति का उदय
कालिया नाग श्रीकृष्ण से हुई अपनी भेंट के बाद बदल चुका था। पहले जो अहंकारी, विषैला और राक्षसी स्वभाव का था, अब वही नाग गहन भक्ति में लीन रहने लगा। श्रीकृष्ण की छवि, उनके चरण, उनके नूपुर की ध्वनि — यही सब उसके ध्यान में रहते।
कालिया की पत्नियाँ, जो पहले डरी हुई थीं, अब उसे देखकर आनंद से भर जातीं। नागलोक के अन्य नाग भी उसकी इस भक्ति से प्रभावित हुए।
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🔥 भाग 3: जब नागलोक पर संकट आया
एक बार, कुछ राक्षसी प्रवृत्ति के नागों ने नागलोक पर आक्रमण कर दिया। उनका उद्देश्य था श्रीकृष्ण के भक्तों को नष्ट करना। वे मानते थे कि भक्ति एक कमजोरी है।
इन राक्षसी नागों का प्रमुख था “भोजकासुर”, जो अपने विष और क्रोध से पूरे लोक को हिला सकता था। नागलोक की रक्षा के लिए कालिया को फिर युद्ध करना पड़ा।
हालांकि कालिया ने पहले युद्धों में हिस्सा लिया था, अब उसके हृदय में हिंसा के प्रति घृणा थी। परंतु, उसने श्रीकृष्ण का नाम लेकर युद्ध स्वीकार किया।
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⚔️ भाग 4: युद्ध के बीच श्रीकृष्ण की झलक
जब युद्ध अपने चरम पर था, और कालिया पूरी शक्ति से लड़ रहा था, तभी एक क्षण ऐसा आया जब भोजकासुर ने कालिया को घातक विषबाण से घायल कर दिया।
रक्त बहने लगा, और कालिया मूर्च्छित हो गया।
उसी समय, युद्धभूमि में एक दिव्य तेज प्रकट हुआ। श्रीकृष्ण स्वयं नहीं आए, लेकिन उनका सुदर्शन चक्र आकाश से उतर आया और भोजकासुर को भस्म कर गया।
यह देखकर सब चकित रह गए। कालिया की आँखों से आँसू बह निकले — “हे प्रभु, आपने एक बार फिर मुझे बचाया।”
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🌿 भाग 5: क्षमा और आत्मबोध
युद्ध के बाद, भगवान कृष्ण स्वयं रामणक द्वीप पर प्रकट हुए। वे बोले:
> “कालिया, तूने केवल अपनी शक्ति को ही नहीं बदला, अपने स्वभाव को भी बदला है। तू अब नाग नहीं, मेरा भक्त है। लेकिन याद रख — अहंकार लौटे तो विनाश निश्चित है।”
कालिया ने अपने सिर पृथ्वी पर झुका दिए और कहा —
> “हे प्रभु, मेरा एक ही आग्रह है — जब-जब आप धरती पर अवतरित हों, मुझे सेवा का अवसर दें।”
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🌈 भाग 6: भविष्य की भविष्यवाणी
भगवान कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा:
> “द्वापर के बाद कलियुग आएगा। उस युग में तू एक योगी के रूप में जन्म लेगा — एक ऐसा योगी जो विष को अमृत में बदल देगा। तेरी पहचान ‘विष-योगी’ के नाम से होगी। पर लोगों को यह ज्ञात नहीं होगा कि तू वही कालिया है।”
यह कहकर भगवान कृष्ण अंतर्ध्यान हो गए। कालिया भावविभोर होकर चुपचाप वहीं बैठ गया।
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🕯️ भाग 7: कलियुग में पुनर्जन्म
कई शताब्दियों बाद, दक्षिण भारत के एक गांव में एक बालक जन्म लेता है। उसका नाम रखा गया — “नागेश्वर।”
उसका शरीर साधारण था, परंतु उसकी आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी। युवावस्था में उसने विषैले जानवरों से डरना छोड़ दिया।
एक बार उसने एक सर्पदंश से ग्रसित व्यक्ति को केवल अपने हाथ से स्पर्श कर ठीक कर दिया।
लोग उसे ‘विष-योगी’ कहने लगे।
वह अकेला रहता, ध्यान करता और कभी-कभी गूढ़ बातें करता:
> “भगवान कृष्ण का एक स्पर्श, सबसे बड़ा परिवर्तन ला सकता है…”
कुछ लोग कहते हैं कि वो ही कालिया नाग था — भगवान कृष्ण की कृपा से पुनर्जन्म पाया हुआ।
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🧘 इस कथा से क्या सीख मिलती है?
परिवर्तन संभव है — यहाँ तक कि एक विषैला नाग भी भक्त बन सकता है।
भक्ति में शक्ति है — यह हमें हमारी सीमाओं से परे ले जा सकती है।
भगवान कृष्ण दंड नहीं, उद्धार करते हैं।
हर जीव में आत्मा है, और हर आत्मा में भगवान का अंश।
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📜 निष्कर्ष
भगवान कृष्ण की यह अनसुनी कहानी हमें एक नई दृष्टि देती है — कि उनका कार्य केवल युद्ध करना नहीं था, बल्कि आत्माओं का उद्धार करना भी था।
कालिया नाग की यह कथा दर्शाती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे कितना भी बुरा क्यों न हो, यदि वह सच्चे मन से प्रभु का स्मरण करे, तो वह उनका हो जाता है।
यह भी देखो कालिया नाग का अंत https://www.youtube.com/watch?v=g2QPLSqKkU4