
“हनुमान जी की अनसुनी चमत्कारी कथा”)
🧿
हनुमान जी की अनसुनी चमत्कारी कथा | दंभी तांत्रिक का विनाश
🧿
पढ़िए भगवान हनुमान की वो चमत्कारी और अनसुनी कथा जिसमें उन्होंने एक घमंडी तांत्रिक को विनाश से रोका और गाँव को संकट से बचाया।
—
🌿 प्रस्तावना (Introduction)
भगवान हनुमान को वीरता, बुद्धि और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार उन्होंने अपनी शक्ति को छुपाकर एक दंभी तांत्रिक की भक्ति का असली अर्थ सिखाया?
यह कहानी किसी पुराण में नहीं है, बल्कि लोकश्रुति और कुछ संतों की परंपरा में मौखिक रूप से सुनाई जाती रही है। यह कथा झारखंड के एक छोटे गांव “संकटगढ़” से जुड़ी है।
—
🧓🏼 संकटगढ़ और तांत्रिक की सत्ता
बहुत साल पहले, संकटगढ़ गाँव में एक तांत्रिक रहा करता था — तंत्रमणि नाथ। उसने बहुत साधना की थी, लेकिन अब वह दंभ और घमंड से भर गया था।
वह गाँववालों को डरा कर पैसे लेता, कहता —
> “मेरे बिना भगवान भी किसी को नहीं बचा सकते।”
लोग भय के मारे चुप थे। वह तंत्र विद्या से चीजें उड़ा देता, आग लगा देता और अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करता।
—
🧓🏼 एक वृद्ध महिला की पुकार
गाँव में एक बुज़ुर्ग महिला रहती थी — गायत्री अम्मा। वह हनुमान जी की भक्त थी और हर दिन तुलसी और राम नाम का जाप करती थी।
एक दिन जब तांत्रिक ने उसके बेटे को झूठे दोष में फँसा कर निर्वासित कर दिया, तो अम्मा फूट-फूटकर हनुमान जी से बोली:
> “हे संकटमोचन! अब न्याय करो, ये दंभ अब असहनीय हो गया है।”
—
🕉️ हनुमान जी का आगमन
अगली ही रात गाँव के पीपल के पेड़ के पास एक वृद्ध वानर वेशधारी साधु आया। उसने कोई तामझाम नहीं किया। बस एक लाठी, एक आसन और हनुमान चालीसा की पुस्तक।
गाँववालों ने पूछा:
“बाबा, आप कौन हैं?”
उन्होंने कहा:
> “मैं तो केवल राम नाम का राही हूं, बस संकट से रक्षा करना जानता हूं।”
वो वृद्ध कोई और नहीं बल्कि स्वयं हनुमान जी थे, जो रूप बदलकर आए थे।
—
🔱 तांत्रिक की चुनौती
तंत्रमणि नाथ को जब खबर लगी, उसने साधु से पूछा:
> “क्या तुम मुझे हराकर मेरे गाँव में रह सकते हो?”
साधु बोले:
“मैं किसी को हराने नहीं, सत्य और सेवा की रक्षा करने आया हूं।”
तांत्रिक ने गुस्से में आकर एक यज्ञ किया, जिसमें उसने अग्नि से आदेश माँगा कि उस साधु का नाश हो।
—
⚡ हनुमान जी का चमत्कार
तांत्रिक ने मंत्र पढ़े और जैसे ही उसने अग्नि की ओर देखा, अग्नि शांत हो गई। फिर उसने काली विधा का प्रयोग किया — परंतु मंत्र उलटे हो गए। वह जैसे ही साधु के पास गया, तो उसका शरीर काँपने लगा।
वह बोला:
> “तुम कौन हो? तुम्हारे पास कौन-सी रक्षा विद्या है?”
साधु ने मुस्कराते हुए कहा:
> “जब मन पवित्र हो, तो मंत्र नहीं, राम नाम ही सबसे बड़ी रक्षा है।”
और फिर उसने ऊँची आवाज में हनुमान चालीसा पढ़नी शुरू कर दी।
—
🌩️ तांत्रिक का पराजय
जैसे ही “बhoot pisaach nikat nahi aavai” वाली चौपाई आई, तांत्रिक के पीछे से एक भयंकर आंधी आई और उसकी सारी सामग्री उड़ गई। उसके तंत्र-मंत्र विफल हो गए और वो ज़मीन पर गिर पड़ा।
हनुमान जी ने कहा:
> “भक्ति सेवा है, डर नहीं। तंत्र किसी के विनाश के लिए नहीं होता, बल्कि आत्म-संयम के लिए होता है।”
—
🧎🏼 तांत्रिक का पश्चाताप
तांत्रिक को समझ आ गया कि उसने शक्ति का गलत उपयोग किया। उसने साधु के चरणों में गिरकर माफ़ी मांगी। हनुमान जी ने कहा:
> “जाओ, साधना करो, परंतु अब दंभ नहीं, केवल प्रेम और सेवा।”
इसके बाद हनुमान जी ने गाँव छोड़ दिया और पीपल का पेड़ एक दम दिव्य प्रकाश से जगमगा उठा।
—
🛕 संकटगढ़ बना हनुमान धाम
उस स्थान पर बाद में एक मंदिर बना — “संकटविनाशक हनुमान धाम”। आज भी वहाँ लोग कहते हैं कि अगर किसी को तांत्रिक बाधा हो, और वह सच्चे मन से हनुमान चालीसा पढ़े — तो वह मुक्त हो जाता है।
—
📖 इस कहानी की सीख:
1. हनुमान जी केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि विवेक और विनम्रता के भी प्रतीक हैं।
2. कभी भी आध्यात्मिक शक्ति का घमंड नहीं करना चाहिए।
3. राम नाम की महिमा किसी भी तंत्र से बड़ी है।
4. सच्चे मन से की गई प्रार्थना ईश्वर को बाध्य कर देती है प्रकट होने के लिए।
—
🔚 निष्कर्ष:
ये कहानी हमें याद दिलाती है कि ईश्वर परीक्षा लेते हैं, लेकिन जब घमंड सीमा पार करता है, तो वह स्वयं हस्तक्षेप करते हैं।
हनुमान जी की भक्ति में बल है, पर उसका सही उपयोग करना आना चाहिए।
—
🏷️
या दुर्गा माता का चमत्कार?
✍️youtube पर देखे हनुमान जी की चमत्कारिक कहानी