
🏹 भूमिका (Introduction) हनुमान की रहस्यमयी यात्रा
रामायण और महाभारत जैसे महाग्रंथों में हनुमान जी के पराक्रम, भक्ति और शक्ति का विस्तार से वर्णन मिलता है। किंतु कुछ कथाएँ ऐसी हैं जो ग्रंथों के मूल पाठ से इतर, गूढ़ और रहस्यमयी लोक में छिपी हुई हैं। आज हम ऐसी ही एक अनसुनी कथा के बारे में जानेंगे — हनुमान जी की ब्रह्मांड यात्रा, जिसे उन्होंने एक गुप्त आदेश पर पूरा किया था।
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🌌 कथा का आरंभ – शांति के बाद उत्पन्न शंका
राम-राज्य की स्थापना हो चुकी थी। अयोध्या में सुख-शांति थी। परंतु एक दिन भगवान श्रीराम ने ध्यान अवस्था में एक ऐसी बात जानी जो पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित कर सकती थी। उन्होंने लक्ष्मण से कहा:
> “प्रिय भ्राता, हनुमान को मेरे पास भेजो। उन्हें एक विशेष कार्य के लिए भेजना है।”
हनुमान जी उपस्थित हुए। राम ने कहा:
> “हनुमान, ब्रह्मांड के परे एक ऐसा स्थान है जहाँ अब भी कुछ अशांति शेष है। तुम्हें वहाँ जाकर सत्य को जानना होगा और लौटकर हमें बताना होगा।”
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🔱 हनुमान की रहस्यमयी यात्रा – योगबल से शुरू हुआ ब्रह्मांड पार
हनुमान जी ने भगवान श्रीराम को प्रणाम किया और ध्यान-मुद्रा में जाकर अपने शरीर को लघु कर लिया। उनका मन योग के बल से सूक्ष्म रूप में चला गया — जैसे कि वह अंतरिक्ष और समय की सीमाओं को लांघ रहे हों।
वे सबसे पहले ब्रह्मलोक पहुँचे।
यहाँ ब्रह्मा जी उन्हें पहले से प्रतीक्षा करते पाए गए। ब्रह्मा ने कहा:
> “हे पवनपुत्र, तुम्हारी यात्रा ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने हेतु है। ध्यान रखो, सब कुछ जानना सहज नहीं होता।”
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🌠 नवग्रहों की सभा में हनुमान
हनुमान जी की अगली यात्रा नवग्रह मंडल की ओर थी। यहाँ उन्होंने सूर्यदेव से लेकर शनि तक, सभी ग्रहों की उर्जा को देखा। वे चकित थे कि कैसे प्रत्येक ग्रह मनुष्य जीवन को प्रभावित करता है।
सूर्यदेव बोले:
> “हे हनुमान, तुम स्वयं मेरे शिष्य रह चुके हो। तुम्हारा तेज किसी ग्रह से कम नहीं है। किंतु इस बार तुम्हें ‘रहस्यमयी काले ग्रह’ तक जाना होगा — जो न कभी देखा गया, न सुना गया।”
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🕳️ रहस्यमयी काले ग्रह की ओर
यह ग्रह अदृश्य था। समय और स्थान के बाहर था। इसे ‘काललोक’ कहा गया — एक ऐसी जगह जहाँ काल ही सब कुछ है। वहाँ प्रवेश करना अत्यंत कठिन था, परंतु हनुमान जी ने अपने ध्यानबल से एक द्वार बनाया।
जैसे ही वे वहाँ पहुँचे, उन्हें एक विशाल राक्षसी उर्जा दिखी, जो समय के असंतुलन का प्रतीक थी। यह ‘कालप्रेत’ था, जो ब्रह्मांड में संतुलन को भंग करना चाहता था।
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⚔️ हनुमान बनाम कालप्रेत – ब्रह्मांडीय युद्ध
हनुमान जी ने अपनी गदा उठाई और कहा:
> “हे मायावी, मैं ब्रह्मांड की रक्षा के लिए आया हूँ। रामकाज से कोई पीछे नहीं हट सकता।”
कालप्रेत ने समय को धीमा करने का प्रयास किया। हनुमान जी ने “जय श्रीराम” का उद्घोष करते हुए गदा प्रहार किया। समय फिर से गति में आ गया। उन्होंने कालप्रेत को पराजित कर उसकी उर्जा को ‘कालपिंड’ में बंद कर दिया।
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🔮 ब्रह्मांड की संरचना का रहस्य
कालप्रेत की पराजय के बाद ब्रह्मांड की संरचना स्पष्ट होने लगी। हनुमान जी को ज्ञात हुआ:
हर युग के अंत में एक अदृश्य शक्ति प्रकट होती है।
हनुमान जैसे दिव्य रक्षक ही उसे संतुलित करते हैं।
ब्रह्मांडीय संतुलन बनाए रखने के लिए ‘अज्ञात यात्राएँ’ आवश्यक होती हैं।
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📜 ऋषियों की सभा में उद्घोषणा
वापसी में हनुमान जी ‘सप्तऋषियों’ की सभा में पहुँचे। वहाँ उन्होंने सबके समक्ष अपनी यात्रा का वृत्तांत सुनाया।
ऋषियों ने कहा:
> “हे महाशक्तिशाली हनुमान, तुम्हारा यह कार्य सनातन धर्म की रक्षा में एक अमूल्य योगदान है। तुम्हें ‘ब्रह्मांड रक्षक’ की उपाधि प्राप्त होती है।”
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🛕 अयोध्या वापसी और श्रीराम का आशीर्वाद
हनुमान जी अयोध्या लौटे। राम ने उन्हें आलिंगन करते हुए कहा:
“हे हनुमान, तुम्हारा बल, भक्ति और बुद्धि इस ब्रह्मांड में अद्वितीय है। तुम्हारी यह गाथा युगों तक अनकही रहेगी — परंतु जब समय आएगा, इसे संसार जानेगा।”
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✨ निष्कर्ष
यह कथा न केवल हनुमान जी की चमत्कारी शक्तियों का वर्णन करती है, बल्कि यह भी बताती है कि उनके कार्य केवल पृथ्वी तक सीमित नहीं थे। वे ब्रह्मांडीय संरचना के रक्षक थे और रहस्यलोक के उद्घाटक भी।
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