
श्रीकृष्ण और कल्याणी नदी का रहस्य: एक चमत्कारी अनसुनी कथा
जानिए श्रीकृष्ण की एक अनसुनी और चमत्कारी कथा, जब उन्होंने कल्याणी नदी में डूब रहे गाँव को बचाया। यह कहानी रहस्यमयी चमत्कारों और भक्ति से भरपूर है।
श्रीकृष्ण और कल्याणी नदी का रहस्य
भूमिका
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में अनेक ऐसे प्रसंग हैं जो लोगों को ज्ञात हैं — जैसे रासलीला, कुरुक्षेत्र का उपदेश, माखनचोरी, या कंस वध। लेकिन कुछ ऐसी घटनाएँ भी हैं, जो केवल स्थानीय जनश्रुतियों और ऋषियों की परंपराओं में छिपी हुई हैं। ऐसी ही एक अनसुनी कथा है “कल्याणी नदी और श्रीकृष्ण के चमत्कार” की।
कल्याणी नदी — रहस्य और संकट
द्वारका से कई योजन दूर एक छोटा-सा गांव बसा था, जिसका नाम था “वैभवपुर”। इस गांव से होकर बहती थी कल्याणी नदी, जो वर्षों से शांत और कल्याणकारी मानी जाती थी। लेकिन एक दिन वह नदी भयावह रूप लेकर पूरे गाँव को निगलने के लिए उमड़ पड़ी। लोग डर से गाँव छोड़ने लगे।
साधु का संकेत
गांव के बाहर तपस्यारत एक वृद्ध साधु ने लोगों को रोका और कहा —
“इस नदी को कोई प्राकृतिक शक्ति नहीं, बल्कि एक प्राचीन श्राप नियंत्रित कर रहा है। यदि कोई इसे शांत कर सकता है, तो वह केवल द्वारकाधीश श्रीकृष्ण हैं।”
लोगों ने यह सुनते ही श्रीकृष्ण को संदेश भिजवाया।
श्रीकृष्ण का आगमन
दूसरे ही दिन, श्री कृष्ण द्वारका से वैभवपुर पहुँचे। उनके साथ थे बलराम और उद्धव। जैसे ही श्रीकृष्ण गांव पहुँचे, हवा शांत हो गई और नदी की गर्जना भी धीमी होने लगी — मानो खुद प्रकृति अपने स्वामी के सामने सिर झुका रही हो।
रहस्य खुलता है
श्री कृष्ण ने ध्यानमग्न होकर नदी के पास खड़े हुए और पृथ्वी से बोले —
“हे धरित्री माँ, क्यों इस गांव को संकट में डाला गया है?”
नदी से एक स्त्री आकृति निकली — कल्याणी देवी, जो कभी एक अप्सरा थी। उसने बताया कि उसे शाप मिला था कि जब तक वह मानवों के भय का कारण नहीं बनेगी, वह मुक्त नहीं होगी। अब उसका प्रायश्चित्त पूरा हुआ था।
श्री कृष्ण मुस्कुराए और कहा —
“सत्कर्म ही तुम्हारी मुक्ति का मार्ग है। अब समय है कि तुम पुण्य मार्ग पर चलो।”
श्री कृष्ण के वचनों से कल्याणी मुक्त हुई और नदी स्थिर हो गई।
चमत्कार — नदी का जल अमृत बना
अगली सुबह गांववालों ने देखा कि कल्याणी नदी का जल अब नीले रंग का था, और जिसे पीने से रोगी ठीक हो रहे थे। यह पानी अमृतवत हो गया था। गाँव का नाम बदलकर *”श्रीकल्याण” * रख दिया गया।
श्री कृष्ण ने दिया एक वरदान
गांव की एक वृद्धा, जो श्रीकृष्ण को बालक रूप में जानती थी, उनसे बोली —
“कृष्ण, तू फिर कब आएगा?”
श्री कृष्ण ने मुस्कुरा कर कहा —
“जहां मेरा नाम, मेरी कथा और भक्ति रहेगी, मैं सदैव वहाँ रहूँगा। और इस गाँव में हर जन्म में मेरी छाया बनी रहेगी।”
तब से लेकर आज तक, श्रीकल्याण गाँव में हर पूर्णिमा को एक रहस्यमयी नील प्रकाश रात में नदी से निकलता है — जिसे स्थानीय लोग “कृष्ण-ज्योति” कहते हैं।
इस कथा का महत्व
यह कथा न केवल श्रीकृष्ण के चमत्कारिक स्वरूप को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि कैसे सच्ची भक्ति, सेवा और आस्था किसी भी श्राप को, किसी भी आपदा को समाप्त कर सकती है। आज भी उस गाँव में भक्तजन हजारों की संख्या में पहुंचते हैं।
निष्कर्ष
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में ऐसी अनेक घटनाएँ हैं, जो पुस्तकों में नहीं, लोगों के हृदय में संजोई गई हैं। “कल्याणी नदी और श्रीकृष्ण” की यह कथा भी उसी प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है, जो समय-काल से परे है। सभी कहानिया धर्म ग्रंथो में नही मिलती कुछ लोगों के द्वारा भी पता चलती है ये कहानी आपको पहले से पता थी या नहीं अपनी राय हमें जरूर दीजिये
।
youtube पर देखे कालिया नाग मर्दन
यह भी पढ़े (गरुड़ और श्रीकृष्ण की रहस्यमयी कथा
“