
🪔 वामन अवतार की चमत्कारी कथा: जब भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड को तीन पग में मापा
जानिए वामन अवतार की अद्भुत कथा जब भगवान विष्णु ने एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण कर बलि राजा से तीन पग भूमि माँगी और सम्पूर्ण ब्रह्मांड को नाप लिया।
—
✨ वामन अवतार की पृष्ठभूमि
सत्य युग के बाद त्रेता युग में राक्षसों और देवताओं के बीच संघर्ष और शक्ति की होड़ बढ़ती गई। असुरों का बल दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा था। इसी काल में एक महान दानव राजा हुआ — महाबली। वह दैत्यराज विरोचन का पुत्र और प्रह्लाद का पौत्र था। महाबली एक अत्यंत धर्मनिष्ठ, उदार, दानी और पराक्रमी राजा था।
बलि ने अपनी तपस्या और पराक्रम से स्वर्ग लोक, पृथ्वी और पाताल लोक तीनों पर अधिकार कर लिया। इंद्र सहित सारे देवता हारकर महर्षि बृहस्पति के पास गए। सभी ने मिलकर भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि बलि को रोका जाए।
—
👣 भगवान विष्णु का पाँचवाँ अवतार – वामन रूप में
भगवान विष्णु ने स्थिति को समझकर अपने पाँचवें अवतार — वामन रूप में अवतरण लिया। इस बार उन्होंने किसी योद्धा या रथी रूप में नहीं बल्कि एक बौने ब्राह्मण (वामन) के रूप में जन्म लिया।
उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के घर हुआ। ब्रह्म तेज से युक्त यह वामन बालक शांत, सौम्य और दिव्य आभा से युक्त था। वे अपने हाथ में छत्र, कमंडल, जनेऊ और कमर में मृगचर्म पहने हुए थे।
—
🎉 बलि के यज्ञ में प्रवेश
राजा बलि उस समय विशाल अश्वमेध यज्ञ कर रहा था ताकि उसे स्वर्ग का अधिकार मिले। वह बहुत दानी और वचन का पक्का था। कोई भी ब्राह्मण याचक उसके दरबार से खाली नहीं लौटता।
वामन भगवान ने उसी यज्ञ मंडप में प्रवेश किया। बलि ने जैसे ही उस तेजस्वी बालक को देखा, तुरंत उठकर अभिवादन किया और बोला:
> “हे ब्राह्मण कुमार! आप जो भी माँगना चाहते हैं, निःसंकोच माँगिए। मैं आपको वचन देता हूँ।”
—
🙏 तीन पग भूमि की माँग
वामण ने बहुत विनम्रता से कहा,
> “हे महाबली! मुझे तीन पग भूमि दान कर दीजिए, जिसमें मैं अपने चरणों से माप सकूँ।”
बलि हँस पड़ा – “तीन पग? बस इतनी सी भूमि? माँगो तो सोने की भूमि माँग लो, यज्ञशाला माँग लो, राज्य माँग लो।”
वामन बोले:
> “राजन्! जितना मैं चाहता हूँ, उतना ही माँगता हूँ। मुझे तीन पग भूमि ही चाहिए।”
बलि ने मुस्कुराते हुए वामन को वचन दे दिया।
—
⚡ वामण का विराट रूप और तीन पगों में ब्रह्मांड
जैसे ही बलि ने संकल्प लिया, वामन का रूप विशाल होता चला गया। वह इतना बड़ा हो गया कि उसका सिर आकाश को छूने लगा, पैर पाताल को।
1. पहले पग में भगवान वामण ने समस्त पृथ्वी लोक को मापा।
2. दूसरे पग में उन्होंने स्वर्ग और आकाश लोक को माप लिया।
3. अब तीसरा पग रखने को स्थान नहीं बचा।
—
🌌 बलि का समर्पण
भगवान वामण बोले,
> “बलि! तूने वचन दिया था तीन पग भूमि का, पर दो ही पग में सब नाप लिया। अब तीसरा पग कहाँ रखूँ?”
बलि मुस्कुराया और अपने सिर को आगे बढ़ाकर बोला:
> “प्रभु, तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दीजिए।”
भगवान वामण ने अपना तीसरा पग बलि के मस्तक पर रखा। उसी क्षण बलि पाताल लोक में चला गया।
—
🛡️ बलि को वरदान
देवताओं की जीत तो हुई, लेकिन भगवान विष्णु बलि के सत्य वचन, दानशीलता और भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बलि को आशीर्वाद दिया:
बलि को पाताल लोक का राजा बनाया।
वचन दिया कि भगवान स्वयं उसके द्वारपाल बनेंगे।
बलि को हर वर्ष पृथ्वी पर लौटने की अनुमति मिली — जिसे आज ‘बलिप्रतिपदा’ कहते हैं।
—
✍️ वामन अवतार का रहस्य और महत्व
वामणअवतार हमें यह सिखाता है कि:
अहंकार कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, प्रभु की लीला के सामने तुच्छ है।
दान और वचन का पालन सर्वोच्च गुण है।
भगवान किसी भी रूप में आकर धर्म की स्थापना कर सकते हैं — बल के नहीं, बुद्धि और भक्ति के बल पर।
—
📜 कथा से जुड़े रोचक तथ्य
बलि को भगवान विष्णु का भक्त होने के कारण मोक्ष प्राप्त हुआ।
वामण अवतार विष्णु के 10 दशावतारों में एकमात्र ब्राह्मण रूप है।
इस अवतार में प्रभु ने बुद्धि और युक्ति से कार्य सिद्ध किया, न कि बल प्रयोग से।
ओणम त्योहार (केरल) इसी बलि और वामन की कथा पर आधारित है।
—
🕉️ निष्कर्ष
वामन अवतार केवल एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि धर्म, दया, त्याग, और अहंकार के विनाश का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि प्रभु के सामने किसी का बल, संपत्ति, ऐश्वर्य कुछ भी नहीं चलता — सिर्फ भक्ति और समर्पण ही विजयी होता है।
youtube पर देखे वामन अवतार की पूरी कथा
यह भी पढ़े कृष्ण और रुक्मिणी की अद्भुत कथा