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भीम का पूर्व जन्म: राक्षस से पांडव बनने तक की चमत्कारी कथा
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प्रस्तावना: जब महाबली भीम भी छिपा था एक रहस्य में
पांडवों में सबसे शक्तिशाली और बलशाली, भीम को कौन नहीं जानता? उनका नाम सुनते ही आँखों में एक ऐसी छवि उभरती है जो शेर से भिड़ जाए, दुश्मनों को चीर दे और धर्म की रक्षा करे।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भीम का पूर्वजन्म क्या था?
इस कथा में हम जानेंगे उस अवतारी आत्मा की यात्रा, जो पहले एक राक्षस योद्धा थी और बाद में पांडवों में जन्म लेकर धर्म की स्थापना में भागीदार बनी।
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अध्याय 1: जब धरती ने मांगी सहायता
सत्ययुग के अंत में और त्रेतायुग की शुरुआत में पृथ्वी अधर्म से त्रस्त हो चुकी थी। राक्षस, असुर और शक्तिशाली योद्धा धर्म का नाश कर रहे थे। तब पृथ्वी ने भगवान ब्रह्मा से विनती की — “हे सृजनकर्ता! कृपया मेरे भार को हल्का करें।”
ब्रह्मा ने उत्तर दिया, “बहुत शीघ्र ही भगवान विष्णु के आदेश से कुछ दिव्य आत्माएँ अवतार लेंगी।”
इन्हीं में एक आत्मा थी बलशाली राक्षस योद्धा हनुंड, जो कालान्तर में भीम के रूप में जन्म लेने वाला था।
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अध्याय 2: हनुंड – राक्षस योद्धा की कथा
H3: कौन था हनुंड?
हनुंड नामक राक्षस हिमालय के उत्तर दिशा में एक विशाल गुफा में रहता था। वह असाधारण बल, आहार क्षमता और युद्ध कौशल से परिपूर्ण था। उसकी शक्ति इतनी अधिक थी कि वह हाथी को एक मुट्ठी में दबा सकता था।
परंतु… वह राक्षस होकर भी निर्दयी नहीं था। वह सच्चे हृदय से एक तपस्वी जीवन जीता था। उसे अधर्म से घृणा थी और वह राक्षसों के अधर्मपूर्ण कृत्यों से अलग रहता था।
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अध्याय 3: हनुंड की भक्ति और तपस्या
हनुंड भगवान वायु का भक्त था। वह प्रतिदिन वायु देव की स्तुति करता, वनों में जाकर तपस्या करता और अपनी शक्ति को केवल आत्म-संयम के लिए उपयोग करता।
वायु देव प्रसन्न हुए और बोले:
> “हे हनुंड! तुम राक्षस कुल में होकर भी धर्मप्रिय हो। एक दिन तुम मेरे अंश से जन्म लोगे — और धरती पर धर्म की स्थापना करोगे।”
हनुंड ने हाथ जोड़कर कहा: “हे देव! मुझे कोई ऐसा जीवन दीजिए जहाँ मैं धर्म के लिए युद्ध कर सकूं, अधर्म का नाश कर सकूं और सच्चाई की राह पर चलूं।”
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अध्याय 4: हनुंड का बलिदान
एक दिन देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। राक्षसों ने अमरावती पर आक्रमण कर दिया। हनुंड इस युद्ध में राक्षसों के पक्ष में नहीं था। उसने देवताओं का साथ दिया।
अपने ही कुल के विरुद्ध खड़ा हुआ हनुंड, राक्षसों के क्रोध का शिकार बना और उसे मृत्युदंड मिला।
जैसे ही उसका शरीर धरती पर गिरा, आकाश से वायु देव प्रकट हुए और बोले:
> “हे महाबली! अब तुम अगले युग में मेरे ही अंश से जन्म लोगे — और तुम्हारा नाम होगा ‘भीम’।”
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अध्याय 5: कुंती और वायु देव का योग
द्वापर युग में, जब कुंती को ऋषि दुर्वासा से वरदान मिला कि वह किसी भी देवता को बुलाकर संतान प्राप्त कर सकती है, तब उन्होंने वायु देव का आह्वान किया।
वायु देव प्रकट हुए और बोले:
> “हे कुंती! मैं तुम्हें वही आत्मा दूँगा जो पहले हनुंड के रूप में राक्षस कुल में थी। यह आत्मा बल, शक्ति, संयम और धर्म का प्रतीक है।”
यहीं से शुरू हुआ भीम का जीवन।
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अध्याय 6: बाल्यकाल में भीम के चमत्कार
भीम के जन्म लेते ही उनकी ताकत स्पष्ट होने लगी। वे नवजात होते हुए भी पत्थर को चूर-चूर कर सकते थे। एक बार दुर्योधन ने उन्हें ज़हर देकर नदी में फेंका, लेकिन भीम नागलोक पहुँच गए।
वहाँ नागराज वासुकी ने उन्हें अमृत पिलाया, जिससे उनकी शक्ति सात गुना बढ़ गई।
यह शक्ति क्यों मिली?
क्योंकि हनुंड का आत्मबल और तपशक्ति अभी भी उनके भीतर थी।
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अध्याय 7: भीम की परीक्षा – हनुंड की आत्मा जागृत होती है
भीम को कई बार अपनी आत्मा की पूर्व स्मृति आने लगी। युद्ध के दौरान, जब उन्होंने जरासंध से युद्ध किया, तो उन्हें अपने पूर्व जन्म की शक्ति का अनुभव हुआ।
> “मुझे लगता है, जैसे मैं इससे पहले भी युद्ध में था, शायद किसी अन्य रूप में…,” — भीम ने श्रीकृष्ण से कहा।
कृष्ण मुस्कराए और बोले:
> “भीम, तुम वही आत्मा हो जो युगों पहले भी धर्म के लिए खड़ा हुआ था।”
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अध्याय 8: हनुंड की शक्ति = भीम का बल
हनुंड एक गुफा में रहता था — भीम को भीमसेन कहा गया, जिसका अर्थ है ‘गुफा के सेनापति’।
हनुंड वायु भक्त था — भीम वायु देव के पुत्र बने।
हनुंड ने राक्षसों से युद्ध किया — भीम ने कौरवों और अधर्म से युद्ध किया।
हनुंड संयमी था — भीम भी क्रोधी थे, पर हमेशा धर्म के पक्ष में रहे।
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अध्याय 9: हनुंड का पुनर्जन्म एक दिव्य योजना थी
कई पुराणों और तंत्र ग्रंथों में संकेत मिलता है कि भीम का जन्म मात्र एक पांडव के रूप में नहीं हुआ था, बल्कि वह एक दिव्य आत्मा की योजना का हिस्सा थे।
विष्णु पुराण में उल्लेख है:
> “वायु के अंश से उत्पन्न योद्धा, जो अधर्म को चीर डालेगा, वह पूर्व जन्म में राक्षसों में धर्मात्मा रहा होगा।”
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अध्याय 10: समापन – भीम का पूर्व जन्म आज के लिए प्रेरणा
भीम का पूर्व जन्म हमें यह सिखाता है कि कोई भी आत्मा, चाहे उसका जन्म कहीं भी हो, यदि वह धर्म, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चले, तो वह ईश्वर के कार्य में भागीदार बन सकती है।
हनुंड एक राक्षस था — लेकिन धर्मप्रिय। और उसी आत्मा ने पांडवों में जन्म लेकर भीम का रूप लिया।
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कहानी भीम का पूर्व जन्म
divyakatha .com की कहानी (भीम का पूर्व जन्म)