
अर्जुन का पूर्व जन्म
क्या आप जानते हैं अर्जुन का पूर्व जन्म कैसा था वो क्या थे अपने पिछले जन्म में? जानिए इस गूढ़ और रहस्यमयी कथा में भगवान और अर्जुन के गहरे रिश्ते का रहस्य, जो शायद ही किसी को पता हो।
📖 प्रस्तावना
महाभारत के वीर योद्धा अर्जुन को तो हम सभी जानते हैं — श्रीकृष्ण के प्रिय मित्र, गाण्डीवधारी, अपराजेय धनुर्धर और कुरुक्षेत्र युद्ध के नायक। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अर्जुन का पूर्व जन्म क्या था? क्या वह पहले भी किसी रूप में धरती पर आ चुके थे? और क्या श्रीकृष्ण से उनका रिश्ता उसी जन्म में बना या उससे भी पहले से चला आ रहा था?
इस रहस्यमयी कथा में हम जानेंगे अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच के दिव्य संबंधों की वह कहानी जो वेदों और पुराणों में छिपी है।
🕉️ अध्याय 1: देवताओं का निर्णय
सृष्टि की शुरुआत में जब अधर्म बढ़ने लगा, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से विनती की कि वे धरती पर अवतार लें और धर्म की रक्षा करें। भगवान विष्णु ने यह स्वीकार किया, लेकिन कहा कि धर्म की स्थापना के लिए उन्हें ऐसे सहयोगी चाहिए जो न केवल वीर हों, बल्कि उनके साथ आत्मिक रूप से जुड़े हों।
यहीं से अर्जुन के पूर्व जन्म की यात्रा आरंभ होती है…
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🌌 अध्याय 2: ऋषि नर और नारायण का रहस्य
भगवान नारायण और ऋषि नर, बद्रीनाथ में तपस्या करते हुए देखे गए थे। इन दोनों को त्रेता युग से भी पहले का माना गया है। कई पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान नारायण ही बाद में श्रीकृष्ण बने और ऋषि नर ही अर्जुन के रूप में जन्मे।
🔍 नर और नारायण कौन थे?
नर: एक महान तपस्वी और ऋषि, जिनमें अपार संयम और शक्ति थी।
नारायण: भगवान विष्णु का ही अवतार, जो समस्त ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले थे।
ये दोनों मिलकर संसार में धर्म की स्थापना के लिए युगों तक तपस्या करते रहे।
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✨ अध्याय 3: ऋषि नर का पूर्वजन्म अर्जुन कैसे बना?
एक बार एक महा-असुर ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर लिया कि कोई भी उसे न देवता, न राक्षस, न पशु, न मानव मार सके। वह अधर्म फैलाने लगा।
तब नारायण ने कहा, “अब समय आ गया है नर के साथ युद्ध भूमि में उतरने का।”
ऋषि नर ने तपस्या का त्याग कर श्रीनारायण के साथ अधर्म के विनाश का निर्णय लिया।
इन्हीं नर का अगला अवतार था – अर्जुन, जो द्वापर युग में कौरवों और पांडवों के मध्य धर्मयुद्ध में श्रीकृष्ण के साथ मैदान में उतरे।
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🧠 अध्याय 4: अर्जुन और कृष्ण – आत्मा का बंधन
क्यों अर्जुन ही चुना गया?
जब श्रीकृष्ण इस धरती पर अवतरित हुए, तब उन्होंने अपने प्रिय आत्म स्वरूप ‘नर’ को अर्जुन के रूप में बुलाया।
इन दोनों की आत्माएँ पहले से ही जुड़ी हुई थीं – ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य और उसका प्रकाश।
अर्जुन का धर्म पथ: अर्जुन ने कभी भी धर्म का साथ नहीं छोड़ा।
श्रीकृष्ण का मार्गदर्शन: कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया – क्योंकि वह जानते थे कि अर्जुन ही एकमात्र ऐसा पात्र है जो उसे समझ पाएगा।
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🗡️ अध्याय 5: भगवान शिव से अर्जुन का युद्ध
क्या आप जानते हैं कि अर्जुन ने स्वयं भगवान शिव से युद्ध किया था?
यह तब की बात है जब अर्जुन तपस्या कर रहे थे पाशुपतास्त्र पाने हेतु। भगवान शिव स्वयं एक किराती (शिकारी) का रूप धारण करके आए। अर्जुन ने उन्हें पहचाना नहीं और उनसे युद्ध कर बैठे।
जब भगवान प्रसन्न हुए, तब उन्होंने वरदान दिया – “हे नर! तुम अपने पिछले जन्म के समान ही आज भी तपस्वी और धर्मनिष्ठ हो। तुम्हारे भीतर वही आत्मा है जो मेरे परम प्रिय नारायण की संगिनी है।”
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🔮 अध्याय 6: अर्जुन की आत्मा और कर्मबंधन
पूर्व जन्म में अर्जुन केवल एक ऋषि ही नहीं थे, वे कर्म, भक्ति और धर्म के प्रतीक थे। उनका जीवन दर्शाता है कि हर युग में कोई ना कोई आत्मा ऐसा जन्म लेती है जो ईश्वर के कार्य में भागीदार बनती है।
अर्जुन का जन्म, जीवन और कर्तव्य, सभी एक दिव्य योजना के अंग थे।
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💭 अध्याय 7: श्रीकृष्ण का संकेत – “तुम वही हो!”
कुरुक्षेत्र युद्ध के पूर्व, जब अर्जुन मोहग्रस्त हो गए और युद्ध करने से मना करने लगे, तब श्रीकृष्ण ने कहा:
> “हे पार्थ! तुम जन्म-जन्मांतर से मेरे प्रिय हो। इस जन्म में भी, पूर्व जन्म की भांति, तुम मेरे साथ हो – धर्म की स्थापना के लिए।”
यह कथन सीधे इस ओर इशारा करता है कि अर्जुन और कृष्ण का रिश्ता केवल इस जन्म का नहीं, बल्कि अनादि काल से चलता आ रहा है।
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⚡ अध्याय 8: नर-नारायण की भविष्यवाणी
पुराणों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब अधर्म फिर से सर्वोच्च होगा, तब न
र और नारायण फिर से जन्म लेंगे – एक बार फिर से धर्म की स्थापना के लिए।
हमारी वेबसाइट पर पढ़े भीम की पूर्व जन्म की कथा https://divyakatha.com/भीम-का-पूर्व-जन्म-राक्षस-स/
यह भी देखे अर्जुन कौन थे पूर्व जनम में youtube पे https://www.youtube.com/watch?v=FoxCkr7xOfc&t=7sअर्जुन का पूर्व जन्म